नालागढ़ । वीरेश्वर महादेव मंदिर मगनपुरा नालागढ़ में शिव पुराण कथा के शुीाारंभ पर महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद ने कहा कलयुग में उत्पन्न होने वाले जीवों का कल्याण करने के लिए शिव पुराण की रचना स्वयं भगवान ने की। उन्होंनेकहा कि सभी ग्रंथ भगवान शंकर से ही निकलते हैं। सब के बीज मूल भगवान शंकर हैं भगवान शंकर दया करुणा के मूर्त रूप हैं। शिव स्वयं प्रकाश रूप परम तत्व परमानन्द के दाता है। शिव सृष्टि के पांच कार्य सृजन, पालन, संहार अनुग्रह, व विग्रह स्वयं कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि शिव पुराण कथा श्रवण से मनुष्य के ज्ञात अज्ञात समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं। अति पापी को निराश नहीं होना चाहिए, भगवान अभिमानी से घृणा करते हैं पापी से नहीं। जीवन में कुसंग से बचो काम क्रोध महाशत्रु है इनसे बचने का प्रयास करें।
देवराज कुसंग में पड़ गया फिर उसने प्रयागराज में एक महीने तक अज्ञानावस्था में शिव पुराण की कथा का श्रवण किया। इससे उसके समस्त पाप समाप्त गये। अंत में उसे शिवलोक की प्राप्ति हुई।
देवताओं की पूजा मूर्ति में होती हैं भगवान शिव की पूजा मूर्ति एवं लिंग दोनों में होती है। शिव पुराण के तहत मंदिर में शिव कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे 5 बजे तक चलेगी।


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