नैनीताल। नैनीताल हाई कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मोहम्मद उस्मान और रुकुट क्षेत्र के निवासियों को बड़ी राहत प्रदान की है। कोर्ट ने नगर पालिका नैनीताल द्वारा जारी अतिक्रमण हटाने के नोटिस को गलत ठहराया, जिसके बाद पालिका ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए नोटिस वापस लेने का निर्णय लिया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन न करने के कारण चर्चा में आया।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ में उस्मान की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, अतिक्रमण हटाने से पहले 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है, लेकिन पालिका ने केवल तीन दिन का समय दिया। उन्होंने बताया कि आरोपी उस्मान जेल में है और रुकुट क्षेत्र के कई अन्य निवासियों को भी ऐसे नोटिस जारी किए गए हैं।
सुनवाई के दौरान नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए। पालिका ने तीन दिन के नोटिस को गलत मानते हुए उसे वापस लेने की बात स्वीकारी। कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों पर नाराजगी जताई और पुलिस को ऐसे मामलों में सख्ती बरतने के निर्देश दिए।
मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी, जिसमें पुलिस और पालिका को कोर्ट के आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी। इस फैसले से रुकुट क्षेत्र के निवासियों में राहत की लहर है, जबकि पुलिस और पालिका पर कोर्ट की सख्ती ने प्रशासन को और सतर्क कर दिया है।
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