रानीपोखरी: माइक्रो फाइनेंस कंपनी संकट में: ग्राहकों के करोड़ों रुपये अटके, 30 सितंबर की डेडलाइन - सत्यमेव जयते

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Sunday, September 28, 2025

रानीपोखरी: माइक्रो फाइनेंस कंपनी संकट में: ग्राहकों के करोड़ों रुपये अटके, 30 सितंबर की डेडलाइन



रानीपोखरी। देहरादून, उत्तरकाशी और टिहरी के कई कस्बों में कार्यालय खोलकर लोगों को मोटा मुनाफा का लालच देने वाली एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी अब बंद होने की कगार पर है। रानीपोखरी, भानियावाला और ऋषिकेश में खुले इस कंपनी के कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी और ग्राहक परेशान हैं। कंपनी ने पिछले तीन महीनों से ग्राहकों को उनकी मेच्योर रकम नहीं लौटाई है, जबकि कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला। नाराज कर्मचारियों ने प्रबंधन को 30 सितंबर तक का अल्टीमेटम दे दिया है।

सूत्रों के मुताबिक, इस कंपनी ने स्थानीय बेरोजगार युवाओं को कार्यालयों का प्रभार सौंपा था। अब कंपनी की अनियमितताओं के चलते इन कर्मचारियों पर स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटने का डर सता रहा है। बताया जा रहा है कि कंपनी के पास ग्राहकों के करोड़ों रुपये जमा हैं, जो मेच्योर होने के बावजूद वापस नहीं किए जा रहे।

 इससे निवेशकों में हड़कंप मच गया है।कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन से बार-बार बातचीत के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला। कंपनी के मालिकों ने न तो ग्राहकों के पैसे लौटाए और न ही कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान किया। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमें दो महीने से वेतन नहीं मिला। ग्राहक रोज कार्यालय आकर हंगामा करते हैं, लेकिन हम प्रबंधन की लापरवाही के शिकार हो रहे हैं।"

 कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि अगर 30 सितंबर तक स्थिति नहीं सुधरी, तो वे कानूनी कार्रवाई और विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।स्थानीय निवेशकों का कहना है कि कंपनी ने ऊंची ब्याज दरों का वादा कर उनसे भारी रकम जमा कराई थी। अब पैसे न मिलने से लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। 

एक निवेशक ने बताया, "मेरे जीवन भर की कमाई इस कंपनी में फंस गई है। अब न तो ब्याज मिल रहा है और न ही मूलधन।" इस मामले ने क्षेत्र में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर भरोसे को हिला दिया है।

पुलिस और प्रशासन को अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन कर्मचारियों और ग्राहकों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रबंधन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो वे थाने और कोर्ट का रुख करेंगे।

यह मामला माइक्रो फाइनेंस क्षेत्र में विनियामक ढांचे की कमजोरियों को भी उजागर करता है। फिलहाल, सभी की नजरें 30 सितंबर की समय सीमा पर टिकी हैं, जब कर्मचारी अगला कदम उठाने की योजना बना रहे हैं।

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