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रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन पर पशुपालन विभाग ने तत्काल प्रभाव से 24 घंटे की रोक लगा दी है। यह निर्णय यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण पाए जाने के बाद लिया गया है। रविवार को 8 और सोमवार को 6 घोड़े-खच्चरों की अचानक मौत ने प्रशासन को सतर्क कर दिया, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।
पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. पुरुषोत्तम ने अधिकारियों के साथ आपात बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि घोड़े-खच्चरों की मौत की वजह जानने के लिए भारत सरकार के विशेषज्ञों की एक टीम जल्द रुद्रप्रयाग पहुंच रही है। संदिग्ध और संक्रमित पशुओं को क्वारंटाइन किया जा रहा है, और उनके सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, हिसार भेजे गए हैं। जांच रिपोर्ट आने तक यह प्रतिबंध लागू रहेगा।
सचिव ने स्पष्ट किया कि विभाग ने पहले ही सावधानी बरती थी। 4 से 30 अप्रैल के बीच 16,000 से अधिक घोड़े-खच्चरों की स्क्रीनिंग की गई थी, और केवल नेगेटिव रिपोर्ट वाले पशुओं को यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी। इसके बावजूद, हाल की घटनाओं ने स्थिति की गंभीरता को उजागर किया है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने कहा कि पशुओं की सेहत को लेकर कोई जोखिम नहीं लिया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई पशु मालिक बीमार पशु से कार्य करवाता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
यह रोक यात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों पर निर्भर तीर्थयात्रियों और स्थानीय पशु मालिकों के लिए चुनौती बन सकती है। हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह कदम पशुओं और यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। विभाग ने यात्रियों से सहयोग की अपील की है और स्थिति सामान्य होने तक वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर विचार करने को कहा है।
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