देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) अपनी प्राचीन वास्तुकला और हरियाली भरे परिसर के कारण फिल्म निर्माताओं के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है। कई ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्मों की शूटिंग इस ऐतिहासिक स्थल पर हुई है। हालांकि, 2024 में फिल्म शूटिंग से होने वाली आय में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले केवल 6 लाख रुपये रही। यह 2023 में अर्जित 32 लाख रुपये की तुलना में काफी कम है।
एफआरआई ने आरटीआई के जवाब में 2009 से 2024 तक फिल्म शूटिंग से प्राप्त राजस्व का ब्योरा साझा किया। देहरादून निवासी राजू गुसाईं को दिए जवाब में संस्थान ने खुलासा किया कि इस अवधि में आय में उतार-चढ़ाव देखा गया। 2009 में जहां 50,000 रुपये की कमाई हुई, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 32.02 लाख रुपये तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे अधिक राजस्व था। लेकिन 2024 में आय घटकर 6 लाख रुपये रह गई। कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2021 में लॉकडाउन के कारण कोई शूटिंग नहीं हुई, जिससे आय शून्य रही।
एफआरआई में फिल्म शूटिंग के लिए आधिकारिक मंजूरी और उच्च शुल्क की आवश्यकता होती है। प्रति दिन लगभग 75,000 रुपये का शुल्क केवल बड़े प्रोडक्शन हाउस ही वहन कर सकते हैं। इस कारण ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘रहना है तेरे दिल में’, ‘कृष्णा कॉटेज’, ‘यारा’, ‘जीनियस’, ‘महर्षि’ जैसी कई लोकप्रिय फिल्मों की शूटिंग यहां हुई। संस्थान का प्राकृतिक सौंदर्य और औपनिवेशिक वास्तुकला इसे फिल्मांकन के लिए आदर्श बनाते हैं।
पिछले 16 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, 2010 में 6.25 लाख, 2011 में 7.50 लाख, 2012 में 1 लाख, 2013 में 6 लाख, 2014 और 2015 में 2 लाख, 2016 में शून्य, 2017 में 3.75 लाख, 2018 में 22 लाख, 2019 में 18 लाख, 2022 में 4 लाख और 2023 में 32.02 लाख रुपये की आय हुई। 2001 से 2008 तक का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
आय में इस गिरावट के कारणों की जांच की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च शुल्क, वैकल्पिक शूटिंग स्थलों की उपलब्धता और बदलते प्रोडक्शन रुझान इसका कारण हो सकते हैं। एफआरआई प्रशासन इस स्थिति को सुधारने के लिए रणनीति बना रहा है। यह घटना न केवल संस्थान की आय को प्रभावित करती है, बल्कि देहरादून के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकती है।


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