नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के पॉडकास्ट शो में कई मुद्दों पर खुलकर बात की। पॉडकास्ट की शुरुआत में निखिल कामथ ने पीएम मोदी से कहा कि "मैं यहां आपके सामने बैठा हूं और बात कर रहा हूं, मुझे घबराहट हो रही है। यह मेरे लिए एक कठिन बातचीत है।" इस पर पीएम मोदी मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि "यह मेरा पहला पॉडकास्ट है, मुझे नहीं पता कि यह आपके दर्शकों को कैसा लगेगा।" पीएम ने कहा कि उनके जीवन का मंत्र यह है कि कभी भी बुरी नीयत से कोई गलत काम न करें।
पीएम ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो मैंने एक भाषण दिया, जिसमें मैंने कहा, मैं कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटूंगा और मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा। मैं इंसान हूं जो गलतियां कर सकता हूं, लेकिन मैं कभी भी बुरे इरादे से कुछ गलत नहीं करूंगा। यह मेरे जीवन का मंत्र है। आखिरकार, मैं एक इंसान हूं, कोई भगवान नहीं।
पीएम मोदी ने निखिल कामथ द्वारा होस्ट किए गए पॉडकास्ट में कहा गांधी और सावरकर के रास्ते अलग-अलग थे, लेकिन उनकी विचारधारा "स्वतंत्रता" थी। आदर्शवाद विचारधारा से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है। विचारधारा के बिना राजनीति नहीं हो सकती। हालांकि, आदर्शवाद बहुत ज़रूरी है। आज़ादी से पहले, (स्वतंत्रता सेनानियों की) विचारधारा आज़ादी थी। गांधी का रास्ता अलग था, लेकिन विचारधारा आज़ादी थी। सावरकर ने अपना रास्ता चुना, लेकिन उनकी विचारधारा आज़ादी थी।" अपनी विचारधारा पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमेशा राष्ट्र को सबसे पहले रखना चाहिए।
मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो अपनी सुविधानुसार अपना रुख बदल ले। मैं सिर्फ़ एक ही विचारधारा में विश्वास करते हुए बड़ा हुआ हूं। अगर मुझे अपनी विचारधारा को कुछ शब्दों में बताना हो तो मैं कहूंगा, 'नेशन फर्स्ट। 'नेशन फर्स्ट' टैगलाइन में जो भी चीज फिट बैठती है, वह मुझे विचारधारा और परंपरा की बेड़ियों में नहीं बांधती। इसने हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मैं पुरानी चीजों को छोड़कर नई चीजों को अपनाने के लिए तैयार हूं। हालांकि, शर्त हमेशा 'नेशन फर्स्ट' की होती है।
पीएम ने कहा कि मैं एक सामान्य विद्यार्थी था। मेरे एक टीचर थे, जो मेरे प्रति बहुत स्नेह रखते थे। एक दिन मेरे पिताजी को कह रहे थे कि इसके अंदर टेलेंट है, इसपर कोई ध्यान नहीं देता। हर चीज जल्दी ग्रैब करता है। मेरी इच्छा थी कि मैं अपने टीचर्स का सार्वजनिक तौर पर सम्मान करूंगा। मैंने सबको ढूंढा और सबका सार्वजनिक सम्मान किया। राज्यपाल भी इसमें आए। मेरे मन में था कि मैं जो कुछ भी हूं, इनका भी योगदान है, मुझे बनाने में। मैंने 30-32 टीचर्स को बुलाया और उनका सम्मान किया। मेरे जीवन के अच्छे पल थे वो।
अपने दोस्तों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैंने छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था। घर ही नहीं सबकुछ छोड़ दिया। किसी से जुड़ा नहीं था, लेकिन मैं जब सीएम बना मेरे मन में इच्छा जगी कि क्लास के दोस्तों को सीएम हाउस बुलाऊं। मैं नहीं चाहता था कि वो ये समझे कि मैं कोई तीस मारखा हूं। मेरे में कोई बदलाव नहीं आया, उस पल को मैं जीना चाहता था। मैंने सबको बुलाया था। रात को बहुत खानावाना खाया गपशप मारी, लेकिन मुझे बहुत आनंद नहीं आया। क्योंकि मैं दोस्त खोज रहा था, लेकिन उनको मुख्यमंत्री नजर आ रहा था। मेरे जीवन में कोई तू कहने वाला बचा ही नहीं। संपर्क में अभी भी हैं लेकिन वो बड़े सम्मान से देखते हैं।
राजनीति में आने वाले युवाओं के लिए पीएम मोदी ने कहा कि एक तो राजनीति में आना दूसरा सफल होना। उसके लिए जनता से कमिटमेंट होनी चाहिए। जनता के सुख-दुख के साथी होने चाहिए. अच्छा टीम प्लेयर होना चाहिए। भाषण से ज्यादा जरूरी भी मैं कम्यूनिकेट करना जरूरी है। देश को 1 लाख ऐसे नौजवानों की जरूरत है जो राजनीति में आए। लेना, पाना बनना यदि ये मकसद है। उसका समय बहुत लंबा नहीं है राजनीति में।
बातचीत के दौरान कामथ ने अपना अनुभव भी शेयर किया कि जब वह बड़े हो रहे थे, तो राजनीति काे नकारात्मक ढंग से देखा जाता था, आप इसे कैसे देखते हैं। पीएम मोदी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, "अगर आपको अपनी कही गई बातों पर विश्वास होता, तो हम यह बातचीत नहीं कर रहे होते।"
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