नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 30 अप्रैल 2025 को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिनमें देशव्यापी जनगणना में जाति गणना को शामिल करना सबसे अहम है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह निर्णय बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लिया गया, जहां विपक्षी इंडी गठबंधन ने जाति जनगणना की मांग को प्रमुखता से उठाया था।
वैष्णव ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस पर विचार का आश्वासन दिया था, लेकिन केवल सामाजिक-आर्थिक सर्वे (एसईसीसी) कराया गया। कई राज्यों ने अपने स्तर पर सर्वे किए, लेकिन गैर-पारदर्शिता से भ्रांतियां फैलीं। अब केंद्र सरकार ने तय किया कि जाति गणना मूल जनगणना का हिस्सा होगी, ताकि सामाजिक-आर्थिक मजबूती सुनिश्चित हो। यह फैसला बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है, जहां सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होने हैं।
कैबिनेट ने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देते हुए मेघालय से असम तक शिलांग-सिलचर हाई-स्पीड कॉरिडोर राजमार्ग को 22,864 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी। साथ ही, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तिरुपति-कटपडी के 104 किमी रेलवे ट्रैक को सिंगल से डबल लाइन में बदलने का निर्णय लिया गया।
गन्ना किसानों के लिए राहत भरा फैसला करते हुए 2025-26 के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 355 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया। 10.25% रिकवरी दर पर आधारित इस मूल्य में 0.1% रिकवरी वृद्धि या कमी के लिए 3.46 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम या कटौती होगी। इससे किसानों को 1,11,701 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
वैष्णव ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय सरकार की समाज और देश के सर्वांगीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पूर्व में 10% आरक्षण लागू करने जैसे कदमों से भी सामाजिक तनाव नहीं हुआ। ये फैसले सामाजिक समावेशन, आर्थिक प्रगति और बुनियादी ढांचे के विकास को गति देंगे।
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