शिमला। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के मुख्य अभियंता विमल नेगी की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में सीबीआई ने नई दिल्ली में एफआईआर दर्ज की है। हिमाचल हाईकोर्ट के निर्देश पर यह मामला न्यू शिमला पुलिस थाने से सीबीआई को हस्तांतरित किया गया है। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 3(5) (साझा इरादे से अपराध) के तहत मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने जांच के लिए डीएसपी बृजेंद्र प्रसाद सिंह को मुख्य जांच अधिकारी नियुक्त किया है, जिसमें इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार और सब इंस्पेक्टर नीलेश सिंह भी शामिल हैं। एफआईआर में किरण नेगी के आरोपों का हवाला दिया गया है, जिसमें पावर कॉरपोरेशन के निलंबित निदेशक देसराज और प्रबंध निदेशक का जिक्र है। किरण ने आरोप लगाया कि उनके पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते यह घटना हुई।
जानकारी के अनुसार, विमल नेगी 10 मार्च 2025 को लापता हो गए थे। 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में मिला। 19 मार्च को एम्स बिलासपुर में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन कार्यालय कसुम्पटी के बाहर धरना दिया। उसी दिन देर रात न्यू शिमला थाने में एफआईआर दर्ज हुई, निदेशक देसराज को निलंबित किया गया और प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा को हटाया गया। सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को प्रशासनिक जांच सौंपी, लेकिन किरण नेगी ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग की।
हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, डीजीपी और एसपी शिमला की अलग-अलग स्टेटस रिपोर्ट्स की समीक्षा की और शिमला पुलिस को फटकार लगाते हुए मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। बीएनएस की धारा 108 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है, जबकि धारा 3(5) साझा इरादे से किए गए अपराध में सभी दोषियों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराती है।
सीबीआई अब इस मामले की गहन जांच में जुट गई है, और जल्द ही तथ्यों को उजागर करने की उम्मीद है।


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