नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान कथित अपहरण प्रकरण ने नया मोड़ ले लिया है। सोमवार, 18 अगस्त 2025 को नैनीताल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने जिला प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर कड़ा रुख अपनाया।
कोर्ट ने SSP नैनीताल को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि नैनीताल केवल पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि उच्च न्यायालय का स्थान भी है, और कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वायरल वीडियो मामले में SSP द्वारा सफाई देने की कोशिश पर मुख्य न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी की, यह कहते हुए कि SSP अपराधियों का बचाव कर रहे हैं और सरकार को उनका तत्काल तबादला करना चाहिए।
कोर्ट ने कथित रूप से अपहृत पांच जिला पंचायत सदस्यों की दलीलें सुनने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि ये सदस्य पहले ही अदालत को गुमराह कर चुके हैं। री-पोल की मांग वाली याचिका पर सुनवाई को 19 अगस्त तक टाल दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह फिलहाल केवल चुनाव के दिन हुई घटनाओं और संबंधित परिस्थितियों पर विचार कर रही है।
हाईकोर्ट की सख्ती से जिले की राजनीति में हलचल मच गई है। कथित अपहरणकर्ताओं और संलिप्त नेताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने कहा कि कोर्ट की फटकार से साफ है कि इस मामले में अब गंभीर कार्रवाई होगी।
जिला प्रशासन और पुलिस पर अगली सुनवाई से पहले ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है। यह मामला हाल की प्राकृतिक आपदाओं और बेतालघाट में गोलीबारी जैसे घटनाओं के बीच नैनीताल में राजनीतिक तनाव को और गहरा रहा है।
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