शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट में शुक्रवार को आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को फिर से एसपी बद्दी के पद पर नियुक्त करने के मामले में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले को एक अन्य क्रिमिनल मामले में सुनवाई कर रही खंडपीठ को वापस भेज दिया है। यह खंडपीठ इल्मा अफरोज के बद्दी की पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान घटित हुए एक अपराध के मामले की सुनवाई कर रही है। इस मामले में अब खंडपीठ अगली सुनवाई 28 फरवरी को करेगी।
इस खंडपीठ ने 9 सितंबर को आदेश पारित किए थे कि कोर्ट की अनुमति के बिना जांच के दौरान इल्मा अफरोज का तबादला नहीं किया जाएगा। अब इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ करेगी।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई वीरवार को भी हुई थी। सरकार ने अदालत को बताया था कि एसपी बद्दी की तैनाती के लिए तीन अधिकारियों का पैनल बनाया गया है। लेकिन शुक्रवार को महाधिवक्ता ने तीन आईपीएस अधिकारियों का पैनल देने में असमर्थता जताई। कहा कि इतनी जल्दी वहां किसी अधिकारी की तैनाती नहीं की जा सकती। क्योंकि एक अन्य क्रिमिनल मामले में अफरोज के तबादले पर अदालत ने रोक लगा रखी है। वहीं जनहित याचिका में पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एसपी बद्दी रहते हुए अफरोज ने बद्दी, नालागढ़ और बरोटीवाला में कानून को सख्ती से लागू करने का काम किया है। उनके कार्यकाल के दौरान बीबीएन क्षेत्र में अवैध खनन, नशीली दवाओं और अन्य संगठित अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। क्षेत्र के लोगों की ओर से 26 नवंबर को सरकार को भी एक ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें सरकार से गुहार लगाई है कि इल्मा अफरोज को वापस एसपी बद्दी पद पर तैनात किया जाए।
बता दें कि आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को मार्च 2024 में बद्दी में एसपी तैनात किया गया था। उसके बाद इल्मा 7 नवंबर से 15 दिन की छुट्टी पर चली गईं। सकार ने एसपी बद्दी का प्रभार विनोद धीमान को सौंप दिया। 17 दिसंबर को शिमला स्थित पुलिस मुख्यालय में ज्वाइनिंग के बाद अफरोज की कहीं पर भी पोस्टिंग नहीं मिली थी। उसके बाद एक व्यक्ति की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। इसमें इल्मा अफरोज की एसपी बद्दी के पद पर तैनाती की मांग की गई। याचिका में आरोप लगाया गया कि अधिकारियों, राजनेताओं के दबाव के चलते अफरोज को लंबी छुट्टी पर भेजा गया। इस पर अदालत ने डीजीपी से स्पष्टीकरण मांगा था। सरकार ने इसका जवाब दायर करते हुए कहा कि आईपीएस अधिकारी ने खुद अपना स्थानांतरण मांगा था। इसके आधार पर उन्हें हिमाचल प्रदेश पुलिस मुख्यालय में तैनाती दी गई है।
No comments:
Post a Comment